खुद को कैसे बदले | खुद को बदलो पर कहानी - Khud Ko Kaise Badle

Author: in July 12, 2021

 Khud Ko Kaise Badle - खुद को कैसे बदले

कई बार आप अपने आप को बदलने का बहुत प्रयास  करते हैं, लेकिन आप अपने आप को बदल नहीं पाते हैं और कई बार आप दूसरों को बदलने की भी बहुत ज्यादा को कोशिश करते हैं, लेकिन वह कोशिश सफल नहीं हो पाती है। आप चाहते तो है कि आप खुद को या दूसरों को बहुत अच्छे से बदल पाए। लेकिन आप ऐसा नहीं कर पाते हैं। इसके पीछे क्या रीजन है। आज हम जानने की कोशिश करते हैं।इस कहानी के माध्यम से जानेंगे। ओर आज हम जानेंगे कि खुद को संतुष्ट कैसे करें यदि  आप अपने आप को यह किसी को बदलना चाहते भी हैं तो उसका क्या तरीका हो सकता है। 


खुद को बदलो पर कहानी

एक बार एक राजा के दरबार में एक व्यक्ति पहुंचा और कहने लगा कि मुझे आप अपने यहां किसी भी हालत में काम पर रख ली थी।

 राजा ने कहा भाई आपने ऐसा कौन सा गुण है कि मैं आपको अपने दरबार में काम पर रख लूं ।

उस व्यक्ति ने कहा कि मैं आपकी बहुत बड़ी समस्या का समाधान चुटकी वाले का सकता हूं । राजा ने कहा कि वह कैसे उस व्यक्ति ने किसी भी व्यक्ति को देखकर यह जानवर को देखकर उसके बारे में सच बता सकता हूं। अब राजा को विश्वास नहीं हुआ, लेकिन उसने सोचा कि यदि व्यक्ति ऐसा बोल रहा है तो मैं इसको  रखूंगा और इसको काम पर रख लेता हूं। 

राजा ने कहा कि ठीक है। मैं तुम्हें काम पर रखने के लिए तैयार हूं। तुम्हें मैं अपने अस्तबल का मेन व्यक्ति बना देता हूं। तुम मेरे सारे के सारे घोड़ा को बहुत अच्छे से संभालना उस व्यक्ति कहा ठीक है और आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने मेरे कहने पर मुझे काम पर रख लिया। 

व्यक्ति को काम करते हुए थोड़े दिन बीत चुके थे। राजा ने सोचा कि मुझे इस व्यक्ति को परखना चाहिए की ये  जो बोल रहा था। वह बात सच  थी या फिर झूठ थी तो राजा अस्तबल में गया  और उसी से कहने लगा कि देखो यह मेरा सबसे महंगा घोड़ा है। सबसे शानदार घोड़ा है और मैंने इसे बहुत ही मेहनत से कमाया है। 

उस व्यक्ति  राजा को कहा कि राजा साहब आपकी यह सारी बातें तो ठीक है लेकिन गुस्ताखी माफ हो  मैं आपको इस घोड़े के बारे में एक बात बताना चाहता हूं। यदि आप इजाजत दें तो मैं आपको बताऊं। 

राजा ने कहा कि बिल्कुल तुम्हारे मन में जो है वह मुझे बताओ। उस व्यक्ति ने कहा कि राजा साहब आपका यह महंगा घोड़ा या आपने जो इतनी मेहनत से घोड़े को खरीदा है तो बहुत अच्छी बात है, लेकिन आप का घोड़ा नसल  वाला घोड़ा नहीं है। यह तो नकली घोड़ा है। 

अब राजा इस बात को सोच कर चिंतित हो गए। ओर सोच में पड़ गए और सोचने लगे कि मैंने घोड़े  को खरीदने के लिए इतना सारा पैसा दिया। इतना सारा मूल्य दिया है लेकिन यह व्यक्ति कह रहा है कि ये घोड़ा नसल  नहीं है। ऐसे कैसे हो सकता है। 

उस व्यक्ति डंके की चोट पर कहा कि जहां से भी आपने घोड़े को खरीदा है। वहां से आप पता लगाइए कि ये नसल का   है या फिर नहीं है। 

राजा ने ऐसा ही किया। जिस व्यक्ति से उससे वह घोड़ा खरीदा था, उस व्यक्ति को बुलाया जो भी बात हो, सच बताना तुम्हारी गर्दन कटवा दी जाएगी। वह वहां बहुत ज्यादा डर गया और कहने लगा। राजा साहब मुझे माफ कर दो। मैंने आपसे झूठ कहा था। ये  घोड़ा था तो नस्ल का ही लेकिन इसकी माँ को जन्म देने के बाद ही मर गई थी। मैंने सोचा कि आप क्या किया जाए। मुझे इस घोड़े  को बचाना था और इसलिए मैंने इस घोड़े  को गाय के साथ रख दिया और गाय के साथ ये घोड़ा धीरे-धीरे करके बड़ा हुआ और जब आप मेरे पास आए तो मेने  ये  घोड़ा आपको दे दिया।

 राजा  को इस  बात पर बहुत ज्यादा गुस्सा आया कि तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती हो, लेकिन वह राजा खुस  भी हुआ कि उन्हें सच का पता चल चुका था। वह उस व्यक्ति बहुत ज्यादा खुश हूं की तुम्हारी वजह। मुझे सच्चाई का पता चला है और मैं तुम्हें इनाम  देना चाहता हूं।

 राजा ने कहा कि मैं तुम्हें बहुत सारी भेड़ , बकरी और मुर्गी ओर मुर्गे इनाम भी देता हूं। जाओ मेरे लिए और कम करो। 

राजा ने कहा  कि बाकी सारी बातें ठीक है। तुम यह तो बताओ कि तुम्हें यह पता कैसे चला कि घोड़ा नस्ली नहीं है। उस व्यक्ति ने  कहा कि पता लगाना तो मेरे लिए बड़ी ही आसान सी बात थी क्योंकि जब भी कोई नसली घोड़ा , भोजन करता है तो वह अपने मुंह को ऊपर की तरफ करता  है और ऐसी भोजन करता है लेकिन जब  मैंने इस घोड़े को देखा तो इसका  मुंह पूरे समय नीचे रहता था।एक गाय के समान और मुझे तभी पता चल गया था कि घोड़ा नसली नहीं है।

अब थोड़े दिन तक राजा का काम चलता रहा, लेकिन राजा के मन में एक बात आई कि मुझे उस व्यक्ति से अपनी रानी के बारे में भी कुछ जानकारी जरूर लेना चाहिए क्योंकि मेरी रानी तो इतनी खानदानी है। तो में उस व्यक्ति से पूछ कर देखता हूं। अपनी रानी के बारे में

राजा ने उस व्यक्ति  को अपने दरबार में बुलाया और कहा कि मुझे तुमसे अपनी रानी के बारे में कुछ जानकारी लेना है।  तुम मेरी रानी के बारे में बताओ उस व्यक्ति ने कहा कि मैं रानी के बारे में सब कुछ बता दूंगा, लेकिन आपको वादा करना होगा कि आप? मेरे ऊपर गुस्सा नहीं करेंगे। 

राजा ने कहा आप पर बिल्कुल गुस्सा नहीं करूंगा क्योंकि मेरी रानी तो इतनी अच्छी है। मैं तुम पर गुस्सा क्यों करूंगा।

 उस व्यक्ति ने  राजा को कहा कि आप की रानी खानदानी  बिल्कुल भी नहीं है। वह तो किसी नीचे घराने   की है और इस बात को सुनकर राजा बहुत ही ज्यादा गुस्से में आ गए और उसी से पूछे कि तुम ऐसा कैसे कह सकते हो 

उस व्यक्ति ने कहा कि मैंने पहले भी आपसे कहा था कि आप गुस्सा नहीं करेंगे। लेकिन अभी तो गुस्सा कर रहे हैं। यदि आपको वाकई में सच का पता लगाना है तो आप रानी की मां को जाकर पूछिए कि सच क्या है, हो सकता है, वो  आपको सच बता देंगे। 

अब राजा ने सोचा कि यह बात भी ठीक है। उन्होंने उस लाने की मां को बुलाया और कहा कि आप मुझे सारी की सारी बातें सच बताइए कि सच क्या है, यह रानी  है। कौन ।

 अब रानी की मां बहुत ज्यादा डर गई। कप कापने  लगी और राजा से कहने लगी कि मैं आपको सारी की सारी बातें सच बता  देती हूं। 

आपके पिता और मेरे पति के बीच में बहुत ही अच्छी दोस्ती थी और जवाब पैदा भी नहीं हुए थे। जब उन दोनों ने यह निश्चय ले लिया था कि हम दोनों के बच्चों की शादी आपस में होगी। मुझे बेटी तो पैदा हुई थी। 

लेकिन पैदा होने के छह महीने  बाद ही वह मर गई थी और मैं कभी नहीं चाहती थी कि आपके पिता और मेरे पति के बीच में जो भी बातें हुई है जो भी कमिटमेंट हुए हैं। वो खारिज हो  मैं चाहती थी कि वो कमिटमेंट पूरे हो, इसलिए मैंने कहीं दूसरी जगह से एक बच्ची को ढूंढो और उसे मैंने पाला पोसा  और बड़ा किया और जब बढ़ी हुई तो  उसकी शादी आपके साथ हो गई।

 राजा को बहुत गुस्सा आया, लेकिन वह प्रसन्न भी हुए क्योंकि उन्हें अब सच  पता था। उस व्यक्ति पर  बहुत ज्यादा प्रसन्न हुए। की तुम्हारे कारण आज मुझे फिर एक सच का पता चला है। 

राजा ना फिर उस व्यक्ति को कहा कि मैं फिर  से तुम्हें बहुत सारा ही इनाम  देना चाहता हूं। जाओ जितने भी भीड़ लेना है, बकरिया लेना है, मुर्गी लेना है लेकर जाओ।

 राजा ने इस बार फिर से पूछा कि तुम मुझे यह तो बता दो तुम्हें पता कैसे चला कि रानी खानदानी नहीं है। उसने कहा कि ये पता लगाना तो मेरे लिए बड़ा ही आसान था की ये रानी खानदानी नहीं है क्योंकि कोई भी खानदानी महिला हर व्यक्ति से अच्छे से बातें करती है। गाली गलौज नहीं करती है। बुरा व्यवहार नहीं करती है लेकिन जब  मैंने रानी को देखा तो मैंने पाया कि हर व्यक्ति को गाली गलौज करती रहती है। हर व्यक्ति से अच्छे से बात ही नहीं करती है। अकड़ दिखाती रहती है जबकि एक खानदानी महिला कभी भी ऐसा नहीं करती।

अब  थोड़े दिन और बीते राजा बहुत खुशी-खुशी रहने लगा। लेकिन थोड़े दिन के बाद राजा के मन में आया कि मुझे अपने बारे में जाना चाहिए क्योंकि मैं तो इतना  प्रतापी  हूं। मैं तो इतना बड़ा राजा हूं, ये व्यक्ति मेरे बारे में क्या सच बताएगा। यह मुझे एक व्यक्ति से जाना चाहिए। 

राजा ने फिर उस व्यक्ति को दरबार में बुलाया और कहा कि आज तुम्हें मेरे बारे में सच बताना है कि मेरी सच्चाई क्या है। उस व्यक्ति ने कहा कि महाराज में आप की सच्चाई बताने के लिए बिल्कुल तैयार हूं, लेकिन आपको मुझसे वादा करना होगा कि आप मुझे अपने सैनिकों के द्वारा करवाएंगे नहीं।

 राजा ने कहा कि कैसी बातें कर रहे हो। मैं तुम्हें क्यों मरवाने लगा, बिल्कुल भी नहीं करूंगा। लेकिन मुझे अपने बारे में सोचा जानना हैं ।  जो चीज मेरे  बारे में सच है। वह तुम्हें बताना होगा। 

उस व्यक्ति ने कहा कि बिल्कुल ठीक है। मैं बता देता हूं। उस व्यक्ति ने  राजा को कहा कि आप की सच्चाई यह है कि आप किसी राजा की संतान हो ही नहीं। 

राजा का दिमाग खराब हो गया। राजा सोचेंगे कि यह कैसी बात कर रहा है। मैं इतना बड़ा राजा हूं और यह व्यक्ति कह रहा है कि मैं किसी राजा की संतान ही नहीं हूं। वो फिर  गुस्सा हो गए, लेकिन व्यक्ति ने  कहा कि आप इस बात को अपने मां से पूछ सकते हैं। सच्चाई को जान सकते हैं।

 राजा अपनी मां के पास गुस्से में गया और पूछने  लगा कि मां मुझे सच्चाई बताओ कि मैं कौन हूं। मैं कहां से आया हूं और वाकई में मैं राजा की संतान हूं या नहीं ।

राजा की माँ ने  सच्चाई बताएं कि जब तुम्हारे पिता और मेरी शादी हुई तो उसके कई सालों बाद तक हमें कोई भी बच्चा नहीं हुआ। कोई भी संतान नहीं हुई, लेकिन इस राज्य को चलाने के लिए एक उत्तराधिकारी तो चाहिए और हमारे यहां पर एक गड़रिया  काम करता था। उसे पुत्र धन की प्राप्ति हुई थी जो कि तुम हो और तुमको हमने गोद ले लिया। पाला पोसा बड़ा बनाया और आज तुम राजा बन गया।

राजा  दिमाग बहुत ज्यादा खराब हो रहा था, लेकिन वह खुस  भी था क्योंकि उसे सच का पता चल गया था। लेकिन वह व्यक्ति के पास दौड़ते - दौड़ते गया और उसे  कहा कि यार तुम्हें पता कैसे चला कि मैं राजा की संतान नहीं हूं। इतना बड़ा secret जो आज  मुझे खुद पता नहीं चला लेकिन तुमने मुझे यह सच बताया तो बताया कैसे तुम्हें पता कैसे चला। 

उस व्यक्ति ने कहा कि पता लगाना तो मेरे लिए बड़ा   ही आसान था क्योंकि जब भी कोई राजा खुश होता है, किसी को इनाम देता है जो हरा देता है जो सोना  देता है। लेकिन जब भी आप खुश होते थे, मुझे इनाम देते थे तो गार्डन देते थे, भेड़  देते थे, उसी वक्त मैं समझ गया था कि आप एक राजा की औलाद हो ही नहीं सकते।

 क्या आपको बात समझ में आई थी। किसी भी इंसान की प्रवृत्ति ही उस इंसान के बारे में सच्चाई बताती हैं कि वह कैसा है। उसके गुण  कैसे हैं। वह  क्या क्या कर सकता है और क्या-क्या नहीं कर सकता है।

 कई बार आपने लोगों को कहते हुए सुना होगा कि मेरे कारण हुआ है। यह काम मेरे कारण हुआ है। लेकिन यह बिल्कुल भी सच नहीं है। कोई भी व्यक्ति किसी भी काम को कर नहीं सकता। जब तक कि उसके गुण  वह काम नहीं करवा लेते। इसका मतलब यह है कि आप जो भी काम करते हैं, वह आपकी वजह से नहीं होता है। आप नहीं करते हैं। या  हम नहीं करते हैं बल्कि हमारी प्रकृति हमारी प्रगति या गुण करवाते हैं 

जैसी हमारे  प्रवृत्ति होगी जैसे हमारे गुण होंगे जैसे ही हमारा जीवन भी होगा। हम कई बार लोगों को बदलने की कोशिश करते हैं, लेकिन उनकी प्रवृत्ति या प्रकृति और गुण देखे बिना आप खुद को किसी व्यक्ति को बदलने की कोशिश तो करते हैं। लेकिन कभी भी यह नहीं सोचते हैं कि उस व्यक्ति के गुण क्या है, उसी की प्रवृत्ति कैसी है, उस व्यक्ति की प्रकृति कैसी है या साफ सा मतलब मैं कहूं तो उस का नेचर कैसा है।

जिस व्यक्ति का नेचर जैसा  होता है। वह वैसा ही काम करता है। उसके अलावा वह किसी और प्रकार काम करेगी। नहीं सकता है। 

लेकिन फिर भी हम उस व्यक्ति को उसके nature के खिलाफ जाने के लिए मनाते हैं। की  आपको इस अकॉर्डिंग काम करना है, लेकिन इस बात को हमेशा याद रखना कि जिस व्यक्ति की जैसी प्रकृति होती है, जैसा नेचर होता है ,  वह वैसा ही काम करेगा।

 इंसान के nature मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है। पहला होता है सात्विक दूसरा होता है। राज शेख और तीसरा होता है। तामसिक 

सात्विक nature :  के लोग वह होते हैं जो इस बात को बहुत अच्छे से जानते हैं कि जितने भी कर्म हम  कर रहे हैं या जितने भी कर्मों के फलों हमे मिल रहे । वह हमारे प्रकृति हमारे nature या हमारे गुणों के कारण में मिल रहे हैं । 

जितना हम अपने गुणों को बढ़ाते रहेंगे। उतनी हमारी प्रवृत्ति उतनी हमारी प्रकृति है। उतना हमारा नेचर अच्छा होता जाएगा और वैसा ही फल हमें मिलता जाएगा।

 नासिक नेचर के लोगों की प्रवृत्ति होती है कि वह यह सोचते हैं। इस दुनिया में जो भी काम हो रहा है वह सिर्फ और सिर्फ मेरे कारण हो रहा है। उन्हें बहुत ज्यादा अहम होता है। एंकर होता है और वह सोचते हैं कि जो कुछ भी किया है वो मैंने किया है और मेरी वजह से हुआ है ।

तामसिक nature के लोग वह होते हैं जो बहुत ज्यादा आलसी होते हैं जो कर्म करने में भरोसा ही नहीं रखते हैं। उन्हें बहुत ज्यादा नींद आती है। Alice आता है और किसी भी काम को ठीक से नहीं करते हैं। उन्हें लगता है कि बस मुझे आराम की जरूरत है और मैं आराम करता रहूंगा तो मुझे सब कुछ मिल जाएगा में यही  पर बैठा रहूंगा तो मुझे सब कुछ प्राप्त हो जाएगा।

 आप अपने आप या किसी व्यक्ति को बदलना चाहे तो सबसे पहले आपने आप से पूछिए की इन तीन प्रकृति में से तीन नेचर में से आपका कोन से nature है यदि आपको इस बात को समझ आई हो तो इस पोस्ट को आपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करना । 

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