भगवान है या नहीं? विज्ञान के अनुसार क्या भगवान है , भगवान वास्तव में मौजूद है

Author: in September 01, 2021

दोस्तों , भगवान है या नहीं ? यह सवाल युगों - युगों से आज भी बना हुआ है । हां हमारे (Rishi Muni )।ऋषि मुनियों ने हमारे धर्म मे ओर हमारे शास्त्रों ने ईश्वर के होने के वर्णन किया हैं । लेकिन इस संसार में नास्तिक की भी कोई कमी नहीं है । जो भगवान का अस्तित्व है या नहीं सिरे से नकार देते हैं । 

Bhagwan hai ya nahi

तो दोस्तो आज में आपको ऐसे कुछ प्रमाण दूंगा जो यह साबित कर देंगे कि भगवान वास्तव में मौजूद है ओर वह इस सृष्टि के कण-कण में व्यक्त हैं ।

भगवान है या नहीं

1)हर कार्य का एक कारण होता हैं 

दोस्तों मेरा पहला प्रमाण हैं भगवान का अस्तित्व है या नहीं तो में आपको बता दूं इस बृह्माण्ड में अस्तित्व में होने का कोई तो कारण हैं बिना कारण के यहाँ कुछ भी नहीं होता जिसे विज्ञान के भाषा में हम कार्य कारण का सिद्धांत ( the law Of Cause And Effect )  कहते हैं । 

(इस सिद्धांत के अनुसार कारण के होने पर कार्य होता है ,

कारण के न होने पर कार्य नहीं होता हैं । )

तो दोस्तो सवाल यह हैं कि सृष्टि कॉल का कारण क्या हैं यह अस्तित्व  में क्यों आया अगर ईश्वर नहीं हैं तो इसका ओर कोन सा कारण हैं । दोस्तो विज्ञान से इसका सवाल पूछा गया तो वो big bang का थियोरी का नाम लेते है । यानि एक बहुत बड़ा बिस्फोट हुआ और शून्य से यह संसार अस्तित्व में आ गया लेकिन सच कहूं तो दोस्तों यह बात हजम नहीं होती क्योंकि बिस्फोट से कभी भी सूजन नहीं होता । बल्कि बिस्फोट हमेशा ही बिनास का कारण बना हैं 

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लेकिन अगर इस तर्क को सत्त भी माना जाए तो यह सवाल को पूछा जाना चाहिए कि उस बिस्फोट के लिए ऊर्जा कहा से आए अगर अनु परमाणु यदि ही आपस मे टकराए तो वो अनु परमाणु कहा से आये दोस्तों ऐसे सवालों पर विज्ञान मोन हो जाता हैं और हमे मनना पड़ता हैं कि भगवान है या नहीं लेकिन कुछ न कुछ जरूर है 

2)हर डिजाइन का एक डिजाइनर होता है 

दोस्तों मेरा दूसरा प्रमाण हर डिजाइन का एक डिजाइनर होता हैं दोस्तों इस तत्त्व से कोई इनकार नहीं कर सकता है । कि पूरी सृष्टि एक उच्च दर्जे की डिजाइन सी लगती हैं एक छोटी से तस्वीर या नक्सा बनाने के लिए ही हमे एक अच्छे रचनात्मक मसीन की आवश्यकता होती हैं । हर कोई यह कार्य नहीं कर सकता हैं तो दोस्तो जरा सोचिए कि ये सारे पशु पक्षिय , पेड़ पौधे , पहाड़ , जमीन ,या पूरी पृथ्वी आपने आप या केवल एक विस्फोट से कैसे बन सकता हैं । 

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दोस्तों कई बार हम प्रकृति के द्वारा निर्मित चीज़ो को कॉपी करके उसका प्रतिरूप तैयार करने की कोशिश करते हैं । हम इंसान के स्थान पर रोबोट पक्षिय को देख कर डोरन , हवाई जहाज यदि तो बना लेते है लेकिन कितनी भी कोशिश कर ले । वेसे का वैसा नहीं बना पाते इससे से भी यह बात सिद्ध होती है की अगर हम आपने छोटे दिमाग से यह सारी छोटी- छोटी चीजे निर्मित कर लेते है तो हमे ओर इस सृष्टि का निर्माण करने के पीछे किसी सुपर या advance बर्न का ही कमाल होगा और वही भगवान हैं । 

3)अगर प्राणी है तो प्राण दाता भी होगा 

अगर प्राणी हैं तो प्राण दाता भी होगा जी हां दोस्तों सचिव से जीव की उत्पन्न होती हैं । कभी नश्वर से जीवन की उतपति नहीं होती जिसे vigyan की भाषा मे ( low Of Bio - Genesis ) यानिकी जीव जनन का नियम कहा जाता है दोस्तों आपको सायेद हशी आएगी अगर में कहूँ की क्या आप अपने कभी  पत्थर से पत्थर पैदा होते देखा हैं । या किसी भी निर्जीव वस्तु की पीढ़िया आगे पढ़ते देखी हैं जाहिर है दोस्तों आपको यह हास्यास्पद लगेगा कि ऐसा कभी नहीं हो सकता है तो जरा सोचिए दोस्तो की इतने सारे सजीव शरीर धारी प्राणी इस संसार मे विचरण कर रहे है । उनके भीतर आखिर प्राण कहा से आया यानी कोई तो परम पुरूष या परमात्मा हैं जो सभी प्राणियों को प्राण दे रहा हैं ।

4)हर law का एक low maker होता हैं 

हर नियम का एक नियम निर्माता होता हैं यानी हर low का एक low mekar होता हैं दोस्तों किसी भी चीज को सुचारु रुप से चलाने के लिए नियम की आवश्कयता होती है । बिना नियम के हर चीज व्यवस्थित हो जाता है जैसे हमारे देश में हमारे (Kanoon) कानून हमारे अधिकारों , हमारे कर्तव्य , को सुचारु रूप वनाये रखने के लिए हमे संविधान की आवश्यकता होती हैं । और उस Samvidhan के निर्माता के रूप में हम डॉक्टर भीम राम अम्बेडकर को जानते हैं  उसी प्रकार दोस्तों अगर गोर से देखा जाए तो Srishti भी पग- पग पर नियम के पद हीन हैं । सारे ग्रह नक्षत्र अपने दूरी पर घमते हैं , पृथ्वी पर मौसम दिन रात कब बदलना भी एक नियम से होता हैं यहाँ तक कि प्राणियों का जन्म से लेकर मारने तक सब कुछ एक सुचारू रूप से ढंग से होता हैं । तो दोस्तो इन नियमों को बनाने वाले ईश्वर के शिवा ओर को हो सकता हैं 

5)अलग - अलग शरीरों का सुचारू ढंग कार्य करना 

अलग - अलग शरीर होने पर भी सबका सुचारू रूप से कार्य करना जी हां दोस्तों इस ब्रह्मांड में अनेक शरीर वाले प्राणी भी हैं सबके शरीर का ढांचा अलग - अलग हैं सबके कार्य करने का तरीका भी अलग - अलग है लेकिन सभी का शरीर सुचारू रूप से कार्य करता हैं । इससे यह बात साबित है कोई तो है जो इन शरीरों को विभिन्न रूप में इतने सुचारू रूप चलना जनता हैं । और वह ईश्वर हो सकते हैं । 

6)स्वतंत्र इच्छा शक्ति का होना 

दोस्तों अगर यह संसार उन ही बनी होती और इसका कोई वद्स्य नहीं होता तो मानवों के पास स्वतंत्र इच्छा शक्ति भी नहीं होती हम मानव भी बिना किसी सोच विचार के बस हर किर्या की प्रतिक्रिया करते जाते है । हमारे पास चुनने का हक नहीं होता यानी हमारे पास बुद्धि या तर्क शक्ति नाम की कोई चीज नहीं होती । 

लेकिन दोस्तों हमारे पास स्वतंत्र इच्छा शक्ति हैं जिससे हम हर परिस्थिति में आपने सोच और अपने बुद्धि के निरूपा प्रतिकिया दे सकते हैं । 

7)आनंद की तलाश करना 

दोस्तों हमारा आखरी ओर 7वों प्रमाण हैं शुख़ या आनंद की तलाश करना इस संसार मे हर पराणी आनंद तालाश रहा हैं हमारे हर कार्य के पीछे एक ही उद्देश्य होता हैं । वह आनंद की प्राप्ति चाहे वह जानवर हो , या मनुष्य सभी आनंद ढूढ रहे है और कमाल की बात है कि हमारे शास्त्रों में ईश्वर को ही सर्वोच्च आनंद या परमानंद कहा गया हैं । इसका मतलब यह हुआ को indirect हम आनंद के रूप में भगवान को ही तलाश कर रहे हैं । और हर जीव का अंतिम लक्ष्य ईश्वर ही है 

दोस्तों इससे भी यह सिद्ध होता है कि  भगवान का अस्तित्व है ओर हम सभी उन्हीं की तलाश कर रहे हैं उम्मीद है दोस्तों ,ईश्वर है या नहीं इसके बारे में आपको सब सच्चाई पता चल गया होगा । 

भगवान का अस्तित्व है या नहीं

धरती पर भगवान है या नहीं

भगवान वास्तव में मौजूद है

भगवान कहां है

भगवान होते हैं

विज्ञान भगवान को मानती है या नहीं

किस देश में भगवान को नहीं मानते

क्या सच में भगवान होते हैं



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